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20 टिप्पणियां to “Archives”

  1. being a guest , how to post an article or poem in your blog.

  2. my email is alright. First of all you are to approve me as a new user of your blog only then I would be able to post my poems and articles on your blog.

  3. Now, I have enabled my email. Kindly approve me as your user so that I may post my poems, articles on your blog.

  4. अश्विनी जी,
    आपके ईमेल पर तीन बार सारी विधि भेजी जा चुकी है। कृपया आप अपना ईमेल एकाऊंट पढ़ें।

  5. ईमेल में तो आपकी केवल उपरोक्त टिपण्णी ही आई है बाकी कुछ नहीं !कृपया स्टेपवार बताएं की नई पोस्ट करने हेतु क्या किया जाना है ! जो अभी गेस्ट का लोगो है वह केवल टिपण्णी के लिए ही कार्य कर रहा है, पोस्ट विकल्प अभी कहीं भी नहीं दिखता !

  6. मैं आपके सुझाव अनुसार कल रात को अपनी कविता आपके ब्लॉग पर प्रकाशनार्थ भेज चुका हूँ !कृपया प्रकाशित कर लें !

  7. Dear Saurav,
    Presumely you seem to be busy for the last three days. I emailed you my views .You may read my mail on swarth email adress.

  8. मैं आपके द्वारा उद्धृत रिल्के की कविता की व्याख्या से सहमत नहीं हूँ –जब वह कहते हैं कि कविता महज़ भावना नहीं अनुभव है–मेरी यह मत है की कविता न तो पूरी तरह भावना है और न ही अनुभव क्योंकि अनुभव का अर्थ है अभ्यास अतः कविता अभ्यास कैसे हो सकती है ! इसी प्रकार भावना का अर्थ इमोशन से भी है अतः कविता इमोशन कैसे हो सकती है क्योंकि इमोशन का सम्बन्ध केवल मन और मन संचालित इन्द्रियों से ही होता है ! इसलिए कविता उन सूक्ष्म संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है, जो प्रस्फुटन चाहती हैं इसे अंग्रेजी में कहें तो poem is an expression of some deeper inner feelings searching for outbrust. यानि संवेदना का सम्बन्ध सीधे चेतना अथवा आत्मा से है, और कविता मन एवम इन्द्रियों का गुण (virtue) न चेतना का गुण है (quality of conscience.aहै !

  9. अंतिम पंक्ति स्पष्ट करूं(उपरोक्त टिपण्णी ) कविता मन एवम इन्द्रियों का गुण न होकर, चेतना का गुण है(quality of conscience).

  10. अश्विनी जी,
    रिल्के से पहले भी कविता थी और उनके बाद भी चल रही है। हरेक की अपनी समझ होती है रचनात्मक क्षेत्र में और हरेक की अपनी विधि होती है रचनात्मक कार्य करने की, हरेक के अपने प्रेरणा स्त्रोत होते हैं। सृष्टि विशाल है, प्रकृति हर रचनाकार को अलग अलग तरह से प्रेरित कर सकती है।
    बहरहाल, रिल्के के काव्य-दर्शन “कविताऐं महज भावनाऐं नहीं हैं, वे अनुभव हैं” में “महज भावनाऐं नहीं हैं” खास बात है। कवित्ताऎं भावनायें भी हो सकती हैं पर केवल भावनायें ही नहीं हो सकतीं। अनुभव जरुरी नहीं कि अभ्यास ही हो। दृष्टा बन जाने की स्वःस्फूर्त घटना में कहीं से भी अभ्यास नहीं आता। जीवन में किसी बात से अनायास साक्षात्कार हुआ, यह अभ्यास की बात नहीं हैं, यह दृष्टि की बात बन जाती है रचनाकार के लिये। देखते सभी हैं पर सभी एक ही तरह से तो नहीं देखते और सभी रचनाकार तो नहीं हो सकते, देख पाने की संभावना रखते हुये। चीजों को समझने के लिये रचनाकार की एक अलग ही दृष्टि विकसित हो जाती है।
    एक नयी सभ्यता चित्रकारी कर सकती है प्रकृति में बिखरी विभिन्नताओं को देख पर जरुरी नहीं कि जिस तेजी से वह चित्रकारी, मूर्तिकारी आदि की ओर अग्रसर हो जाये उसी तेजी से वह काव्य भी रचने लगे। संगीत की पहचान के बावजूद काव्य रचना मुश्किल होगा और उसके लिये भाषा की जरुरत होगी। यह क्रमवार विकास है। बच्चा भी जिस आसानी से चित्र बना लेगा, कविता नहीं रच पायेगा, अभी उसकी समझ, दृष्टि उतनी विकसित नहीं हुयी है। काव्य प्राकृतिक कला के प्राथमिक चरण में नहीं आता। काव्य के लिये शब्दों की जरुरत है। काव्य के लिये घटनाओं को समझने, जीवन को समझने की जरुरत होती है।
    चेतना की ही बात रिल्के की समझ में दिखायी पड़ती है।

  11. आपकी की ही बात को और अधिक सुलझे तरीके से समेटते हुए कहूँगा कि कविता –एक अभिव्यक्ति कर्म हैं जिसका प्रेरणा स्रोत चेतना है और चेतना का स्तर व्यक्ति के कर्मो से (पूर्व जन्म के संचित एवम इस जन्म के अर्जित ) है !यदि एक बच्चे के पूर्व जन्म के संस्कार बलिष्ठ होंगे तो उसकी चेतना का अंश भी उच्च होगा,महात्मा बुद्ध इसका स्पष्ट उदाहरण है कि छोटी सी आयु में ही एक घटना के बोध ने उनके ज्ञान का मार्ग प्रशस्त कर डाला ! दूसरी ओर कुछ लोग बूढ़े भी हो जातें हैं लेकिन फिर भी उनका मन बुद्धि अपरिपक्व रहता है !अतः कविता का स्रोत तो चेतना है ही पर इसका प्रभाव भी चेतना पर ही निर्भर करता है !चेतना का विकसित विकसित होना सत्य कर्म के लिए उठाए गए कष्टों के अंश पर निर्भर करता है !

  12. सौरव जी मैं अभी कविता प्रकाशनार्थ ईमेल द्वारा भेज चुका हूँ, सुविधानुसार प्रकाशित कर लें !

  13. सौरव जी, अभी कुछ देर पहले मैने कविता ईमेल की है ! सुविधानुसार प्रकाशित कर लें !

  14. सौरव जी, मैं अभी थोड़ी देर पहले कविता ईमेल कर चुका हूँ,सुविधानुसार प्रकाशित कर लें !

  15. सौरव जी,
    आप ठीक कह रहें हैं मैंने स्वार्थ में सिंगल ए को टाइप किया था !मैंने दिन में भी मोबाइल द्वारा आपको कविता फॉरवर्ड कर दी थी और अभी भी दोबारा फॉरवर्ड कर दी है !

  16. सौरव जी , यह कविता की ताकत ही समझिए कि आज बीमार होने के बावजूद भी मैने कविता रची और आपको थोड़ी देर पहले प्रकाशनार्थ ईमेल भी कर दी !

  17. I have emailed poem (Hindi)at 9.54. ,publish as per your convenience.

  18. सौरव जी,
    कुछ देर पहले मैं अपनी कविता ईमेल कर चुका हूँ ! आप सुविधानुसार प्रकाशित कर लें !

  19. सौरव जी,
    कुछ देर पहले मैं अपनी कविता ईमेल कर चुका हूँ ! आप इसे सुविधानुसार प्रकाशित कर लें !

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