- अबू धाबी में न्यायालय की तीसरी भाषा – हिंदी…
- कवि हो, तो कविता लिखो
- एक लड़की है…
- रामराज्य के शिल्पी (के एन गोविन्दाचार्य)
- जो गुज़र गया वो गुज़र गया …
- दलित पृष्ठभूमि के दो नेता जो प्रधानमंत्री बन सकते थे
- गणपति पूजन और विसर्जन (गणेश चतुर्थी) … ओशो
- नग्न लंच : उड़ा डालूँगा डैडी!
- कबीर, बुद्ध और महावीर जैसे राजपुत्रों से भिन्न – ओशो
- अनुराग-विराग … एक गीत
- भारतीय धार्मिक गुरु (शिक्षक/टीचर) की पांच श्रेणियां : ओशो
- गांधी हत्या : ओशो का रुदन, और ओशो के गांधी पर अंतिम वचन
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी : ओशो
- मोहम्मद रफ़ी और कांग्रेस का चुनावी गीत
- ‘प्रेमचंद’ का अंतिम माह और फोटोग्राफर ‘अज्ञेय’
- जो पुल बनायेंगे (स.ही.वात्स्यायन) – कवि से प्रश्न
- कितना अच्छा होता है…सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- दो रास्ते …
- इक्कीस्वीं सदी का जन्मगीत …(कृष्ण बिहारी)
- “टॉर्च बेचने वाले” : “ओशो (आचार्य रजनीश)” पर “हरिशंकर परसाई का आक्रमण” और उस पर ओशो का दृष्टिकोण
- ग़ज़ल
- रुग्ण परिभाषाएँ
- सौंदर्यबोध
- टूटा पहिया
- पथ-हीन
- बौनों की दुनिया …
- माँ – अनोखे रूप
- हमारी गाए – मोहम्मद इस्माइल
- सेक्युलरवाद से संवाद – योगेन्द्र यादव
- भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव : आज का भारतीय उन्हें श्रद्धांजलि देने लायक है भी?
- जंग न होने देंगें …अटल बिहारी बाजपेयी
- भगवान शिव : मकबूल फ़िदा हुसैन के तसव्वुर से
- समर शेष है … रामधारी सिंह दिनकर
- काफ़िर क़ाफ़िर
- अमृता शेरगिल के चित्र को देख कर …
- जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे…
- फीरोजी होठ … धर्मवीर भारती
- कैसे मुसलमां हो भाई…
- शून्य और अशून्य … कुँवर नारायण
- कलिंग … श्रीकांत वर्मा
- मैंने जीवन की शराब पी – त्रिलोचन
- तुम मेरे बोलने और विरोध करने की स्वतंत्रता मुझसे नहीं छीन सकते : अनुराग कश्यप
- Women Warriors in Indian History : भारतीय इतिहास की दस जांबाज लड़ाकू शासिकाएं
- हे स्त्री! तुम्हारी सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारी अपनी है – मलाइका अरोड़ा (अभिनेत्री))
- आप मेरा क्या कर लेंगें … (भारतभूषण अग्रवाल)
- थोड़ा सा … (अशोक वाजपेयी)
- कालाधन – विचारार्थ कुछ पहलू …(के.एन. गोविन्दाचार्य)
- परिधियां… (किशन पटनायक)
- अभी कई बातें …(Sándor Weöres)
- रचना बच जाना है … (रमेशचंद्र शाह)
- एक अभिनेता की डायरी का पन्ना
- मकबूल फ़िदा हुसेन : चित्रकार का कवि बनना
- अकड़ और अश्लीलता से मुठभेड़… रघुवीर सहाय
- सबसे दिली दोस्त … (कमलेश)
- सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना (पाश)
- अलबर्ट कामू का आभार पत्र अपने शिक्षक के नाम
- शिक्षक हो तो ऐसा!
- किताब का चर्चा … (रमेश गोस्वामी)
- कील कहाँ से निकल कर चुभ जाती है? (रघुवीर सहाय)
- काशी मगहर… (नईम)
- ‘प. नेहरु’ का पत्र ‘डा. राम मनोहर लोहिया’ के नाम
- कृष्ण कन्हाई… हसरत मोहानी
- श्री कृष्ण — (नज़ीर अकबराबादी)
- प्रेम है सौंदर्य, वासना ही कुरूपता है!… ओशो
- दूर मत जाओ, प्रिय! … (पाब्लो नेरुदा)
- रूरल डेवेलपमेंट … (महात्मा गाँधी)
- नारी … (महात्मा गाँधी)
- कॉल ड्राप का गोरखधंधा… (के.एन. गोविंदाचार्य)
- जल-हल
- मुसलमान … (देवी प्रसाद मिश्र)
- प्रकृति एवं जैव-विविधता – महात्मा गाँधी
- स्वच्छता … ( महात्मा गांधी )
- अज्ञेय से … (शमशेर बहादुर सिंह)
- माँ – एक चित्रकार और एक कवि की निगाहों से
- पानी पानी …(रघुवीर सहाय)
- दिल्ली की चुनावी राजनीति में एक नया प्रयोग
- मल्लिकार्जुन मंसूर को सुनते हुए …(अशोक वाजपेयी)
- कुमार गन्धर्व का गायन सुनते हुए – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- कविता में भाषा का इस्तेमाल कैसा हो – राजेश जोशी
- कठफोड़वा : दक्षतम बढ़ई कलाकार
- तो तुम लेखक बनना चाहते हो ?
- चलना हमारा काम है… (शिवमंगल सिंह सुमन)
- जावेद अख्तर : राज्यसभा में विदाई भाषण !
- Zero न होता तो ! भारत का शून्य एवं अन्य अंकों से रिश्ता
- विद्यार्थी और राजनीति : भगत सिंह
- महात्मा गांधी एवं परमहंस योगानंद
- जाट आरक्षण का कड़वा सच : योगेन्द्र यादव
- विद्रोही : जेएनयू की चेतना के जनकवि का अंततः चले जाना
- प्रेम – एक थीसिस
- पुस्तकों की होली…ब्रेख्त
- 1984 से 2002
- हम एक नदी हैं
- सेक्युलरिज्म : भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा पाखण्ड (योगन्द्र यादव)
- आज़ाद हिंद फौज के युद्धबंदी सैनिक और प. नेहरु
- उ.प्र में सूखा और किसानों की दुर्दशा: मुख्यमंत्री के नाम सुझाव-पत्र (योगेन्द्र यादव)
- हरामखोर! खाना दे, वरना सब चबा जाऊँगा
- फसल… (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना)
- हिंदी दिवस के ढकोसले को बंद कीजिये : योगेन्द्र यादव
- बुद्ध, महावीर, अहिंसा और मांसाहार : ओशो
- शाकाहारी बनाम मांसाहारी भोजन : ओशो
- प्रसिद्द लेखक एवं विचारक निर्मल वर्मा पर बनी डॉक्यूमेंटरी
- सरकारी स्कूल और इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला : योनेग्द्र यादव
- रंगभेद : अफ्रीकन बच्चे की निगाह से
- सब कुछ कह लेने के बाद… (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना)
- ‘कृष्ण जन्म’ हम जैसा ही था – ओशो
- स्वेच्छा-मृत्यु का अधिकार हो, आत्महत्या का नहीं, : ओशो
- शुक्रवार का गठबंधन
- जो भारत को जोड़ता है…
- फेसबुक से बाहर वास्तविक जीवन में फेसबुकीय सिद्धांतों का नतीजा
- डा. अब्दुल कलाम : अंतिम छह घंटे
- जाति के आंकड़ों से कौन डरता है? …योगेन्द्र यादव
- आनंद स्वतः होने में है, लालसा से करने में नहीं – ओशो
- सच्ची समाजसेवा
- विफलता : (लोकनायक जयप्रकाश नारायण)
- आमों का सेहरा … सागर खय्यामी
- बिना पैर ऊँची उड़ान
- ‘प. नेहरु’ और ब्रिटिश राज के बाद का भारत
- तुम्हारे लिए (हिमांशु जोशी) : दुखद प्रेमकथा से लुभाता उपन्यास
- अरविन्द केजरीवाल के नाम खुला पत्र : (योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण का पार्टी से निष्काषन)
- बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाय… योगेन्द्र यादव
- भगतसिंह की सेक्युलर विरासत
- सूरज को नही डूबने दूंगा …(सर्वेश्वरदयाल सक्सेना)
- “आम आदमी पार्टी” राजनीतिक अव्यावहारिकता का संकट : ओम थानवी
- लीक पर वे चलें जिनके…
- भूख – हरिओम पंवार
- ओशो : मदर टेरेसा और उनके कार्यों का विश्लेषण
- किसान की पगड़ी बचाने का यह आखिरी मौका है…शायद ! (योगेन्द्र यादव)
- भूखा आदमी और ईश्वर
- स्वाइन फ़्लू : लक्षण, रक्षा और उपचार
- आचार्य नरेंद्र देव – समाजवादी आंदोलन के पुरोधा
- ‘मुक्तिबोध’ आस्था देते हैं मुक्ति नहीं …
- प्यारे बच्चों…
- दलाली … हरिशंकर परसाई की दृष्टि से
- R K Laxman के बाद Common Man!
- धीरे- धीरे तुम मरने लगते हो …
- महाभारत
- किरन बेदी , पहली महिला IPS ? दावा झूठा हो सकता है…
- दिल्ली चुनाव : मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल – (उदय प्रकाश)
- किरन बेदी का समर्थन क्यों संभव नहीं? (कृष्ण बिहारी)
- आर के लक्ष्मण : अलविदा ‘कॉमन मैन’ के रचियता
- भारत के विकास का आँकड़ा : 1950 बनाम 2015
- दिल्ली की एक बहादुर लड़की का सन्देश नेताओं के नाम
- पूत भारत माता के… बाबा नागार्जुन
- छीन लो धर्म ग्रंथ मनुष्यों से…
- नये गीत लाता रहा…साहिर लुधियानवी
- हाँ, हम सब हरामज़ादे हैं…
- नए साल की शुभकामनाएँ!
- Ram : The Soul of Time (A Novel) …कुछ झलकियां
- Ram : The Soul of Time
- नग्न हो भी मारा गया
- हिंदुस्तानियों, बधाई तुम पाकिस्तानियों जैसे निकले
- क्रूरता…
- कट्टरता
- बच्चे स्कूल जा रहे हैं…
- जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है
- मासूम बच्चे और नृशंस तालिबानी
- बच्चे को क्या मालूम … मंटो
- कुमार विश्वास : दामिनी – तुम्हे श्रद्धांजलि निर्भया लाडो
- आज मैंने … अज्ञेय
- अरी ओ करुणा प्रभामय…अज्ञेय
- नखशिख… (अज्ञेय)
- महात्मा गांधी और वसुधैव कुटुम्बकम : इटेलियन स्टाइल
- विलक्षण बाल-गायिका और ‘कुमार विश्वास’
- भारतीय प्रधानमंत्रियों की विदेश यात्राओं का सूत्र : शरद जोशी
- कामकाजी गर्भवती स्त्री : महान भारतीय संस्कृति
- काला धन : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- जिंदगी और मौत की जंग के फोटो ने फोटोग्राफर से आत्महत्या करवाई…
- महात्मा गांधी बनाम अंग्रेज : कार्टूनिस्ट शंकर की निगाह से
- ईश्वर की दलाली
- गरीब की “छठ” और भारतीय रेल : रवीश कुमार (NDTV)
- Reyhaneh Jabbari की बलि
- राजा रावण हो या राम…कोई फर्क नहीं पड़ता
- प्रेम भरे दो जीवन…
- Sylvester Stallone : प्रेरक प्रसंग
- वे बेचते भुट्टे…
- गंगा आए कहाँ से…गंगा बचे कैसे?
- हट जाओ : आपातकाल पर :अज्ञेय” की कविता (४)
- आतंक : आपातकाल पर “अज्ञेय” की कविता (३)
- बौद्धिक बुलाए गए : आपातकाल पर “अज्ञेय” की कविता (२)
- संभावनाएं : आपातकाल के दौरान “अज्ञेय”
- बसंत : (अज्ञेय)
- एकांकी नाटक : अज्ञेय की दृष्टि में
- सीमा रेखा (विष्णु प्रभाकर) : राजतंत्र में बदलता लोकतंत्र!
- लोकतंत्र … James Mercer ‘Langston Hughes’
- अलगाव : सब जान लें इसके बारे में
- आखिरी ख़त
- प्रेम का वो अदभुत अनुभव
- मृग मरीचिका
- मैं चमारों की गली में ले चलूँगा आपको…
- योगेन्द्र यादव : 21वीं सदी में नहीं चल सकती 20वीं सदी की राजनीति
- गांधी के समय में अगर आज जैसा मीडिया होता?
- गांधी Vs हिटलर
- कैसे हो द्वारकाधीश?… बोली राधा
- असहमति का अधिकार…विष्णु नागर
- पथहारा वक्तव्य… अशोक वाजपेयी
- रिश्ता क्या कहलाये?
- ओशो : बुद्ध को समझने में बड़ी भूल हुई दुनिया से!
- आयुर्वेदिक दोहे
- “बनारस” : कवि ‘केदारनाथ सिंह’ ने जैसा देखा
- लोकसभा 2014, सबसे महत्वपूर्ण चुनाव नहीं : मार्क टली (BBC)
- मोदी और दलित : प्रो. तुलसी राम
- दाने दाने पर कहाँ लिखा है जरूरतमंद का नाम?
- ध्रुवीकरण के धुरंधर – रवीश कुमार (NDTV)
- ब्याहना
- (नये) ईश्वर का चुनाव : अशोक वाजपेयी
- अरविंद केजरीवाल का मूल्याँकन सीटों से नहीं (रवीश कुमार – NDTV)
- क्या कोई नरेंद्र मोदी को रोक सकता है?
- क्रूरता…(कुमार अंबुज)
- गंगा और महादेव… (राही मासूम रज़ा)
- आततायी की प्रतीक्षा…(अशोक वाजपेयी)
- वह जो है सबसे महान माँ…
- खुदा तो बनना नहीं है…
- छिल रहे हैं मेरे सपनो के नर्म अहसास
- “इंकलाब जिंदाबाद” क्या है … भगत सिंह
- तुम जो फ़ांसी चढ़ने से बच गये हो…(भगत सिंह)
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देशभक्ति : प्रभाष जोशी की दृष्टि में
- तुझसे मुलाक़ात के बाद…
- डा. अब्दुल कलाम : प्रिय भारतवासियों आपसे दो शब्द कहने हैं!
- हर सुबह मौत मुझ पे हंसती है
- कर नहीं पाया पैदा, उसकी आँखों में प्यार
- काई जम गई इंतज़ार की मुंडेर पे
- खूबसूरत रात…
- जीवन रस की हर बूँद पी लेना : संत सिद्धार्थ
- दूर नज़र के छुपा बैठा है
- मीठे गीत जीवन के
- जिस्म ही तो नहीं था
- आज भी हम बिलकुल वैसे हैं…
- सर्दी के सफ़ेद बादल और रक्तिम लौ
- उधड़ी सीवन…
- धुंध में…
- घर उससे है…
- ज्ञान
- बहूँगा धमनियों में इश्क बन के…
- आंसू…
- आत्मविश्वास…(संत सिद्धार्थ)
- आखिरी ख्वाहिश तुम
- दोपहर, साथ, नींद और पलायन
- रूह और जिस्म
- पूर्णिमा का चाँद
- तुम हो…तुम रहोगी..
- ठूंठ जीवन
- मानिनी हठ-धारिणी
- पंडित और डम्बलडोर
- यक्ष प्रश्न
- Zen Ikkyu… आह! ये कविता
- आतप्त कर छोड़ जाती हो…
- Paulo Coelho तुम्हे पढकर
- दिल का जख्मी परिंदा
- शून्य…
- तुम आई थीं…इतना तो याद है मुझे
- सावित्री मंदिर … पुष्कर
- अंत भी हो प्रकाशमान…
- मेरा ये नशा…
- बंद हूँ तेरे ही प्राणों के मद में…
- चश्म मीठे पानी का रेगिस्तानी सफ़र में आएगा
- एक रात की दो चिंताएँ…
- ज़िंदगी…रूमानी हसरतों का पलना
- प्रेम यदि है प्रेम तो फिर…
- कौन समझेगा तेरे सिवा?
- तुम्हारी पीड़ा
- देखें सूरज को मिलते हुए प्रेयसी रात्रि से
- सफाई बाबा…
- कब खुलेंगे रौशनदान?
- जो हो रहा है वह रुकता नहीं, हो ही जाता है : ओशो
- भीड़ में भीड़ से अलग एक चेहरा
- अरमान धुल गए
- मुसकराहट का मंत्र
- सर्द काली रात का इलजाम
- बंद का समय
- अब ये पौधा हरा न होगा
- ताबीर बख्शो…
- ये क्या जिद ले बैठा
- टूट कर भी मुकम्मल रहूंगा
- चैरेवेती
- जलना कब तक…बता दो
- बुद्ध या शैतान…उसकी मर्जी
- महकता चहकता फिरता हूँ
- अधेड़ ज़िंदगी अब भी हरी है
- तुमने मुझे पुकारा जब था…
- कह तो दूँ …शब्द कहाँ हैं
- उठो, समय हो गया है!
- सपनों को न बांधों
- कगार का पेड़
- रोऊँ या गाऊं…
- कुछ देर पुकार…चला जाऊँगा
- सीला सुलगता मन
- मेरे सपनो की ताबीर
- अंतस के परिजन: एक डॉक्टर की डायरी
- प्रथम प्रेम-मिलन
- शुतुरमुर्ग ही नियति?
- गीत क्या खाक बनेंगे?
- शून्य से शून्य तक
- हर आहट पे लगता है कि तुम हो
- आह! मेरे मन
- जो चाहे करो कातिल मेरे
- एक टुकड़ा सच
- आदत में पिन्हा तुम…मजबूर अपनी से हम
- लोअर माल रोड
- ज़िन्दगी ख्वाब क्यूँ न हुयी…
- युवा मन बूढ़े क़दम
- मेरे दिल में कितनी गहरी खाई खोद गईं तुम!
- ओमप्रकाश वाल्मीकि : गंगा में नहीं नहाऊँगा (श्रद्धांजलि)
- दो रूहें हों नीम अँधेरा हो…
- मृत्युंजय कोई नहीं धरा पर : संत सिद्धार्थ
- देह की भाषा
- हर प्रीत नूतन है!
- चिराग जिस्मों के
- एक चाय तो पिलाती जा यार
- आओ शोलों की तरह जलें…
- बाँट सकूं, ऐसा आत्म-ज्ञान कहाँ से लाऊं ?
- हर सिम्त फैली है खुशबू तेरी
- रुक भी जाओ कभी
- यथार्थ बनाम कल्पना…(भाग 2)
- कुछ कुछ होता है!
- चांदनी शर्मा के ओट में छिप गई
- गंगा@वाराणसी
- बाहों के घेरे में बचूँगा क्या?
- कहाँ हैं इस किताब के खरीदार
- यूँ ही हँसती रहो मुँह छिपाकर
- यथार्थ बनाम कल्पना…(भाग 1)
- कितना कुछ ज़िंदा रहता
- रात भर चाँद मुस्कराता रहा
- दीवाना फिर पी के आया है…
- प्रिय, अब तुम जाओ
- मजनूँ कहीं के
- तुम आयी थीं क्या?
- निर्मोही तेरी याद में
- द पिक्चर ऑफ इनर डार्कनेस
- चलो एक बार फिर से मिल जाएँ हम
- तिनकों का समाजवाद और पूंजीवाद
- ढूंढोगे तो राम मिलेगा…
- जली तो तुम भी मेरी याद की तपिश में
- अब क्यों आओगी तुम?
- देह-संगम
- उफ़! कभी यूँ भी तो हो
- मन या तन?
- निर्माण कृति का
- आओ हम तुम चन्दा देखें
- ओशो : उस्ताद “बाबा” अलाउद्दीन खान
- मैं वर्तमान हूँ !
- मुहम्मद अल्वी : दिल्ली और अन्य कवितायेँ
- हिरोशिमा-नागासाकी में ट्रूमन का खेल
- यह अधिकार तुम्हारा ही है…
- ओशो : श्रीपाद अमृत डांगे (कम्यूनिस्ट नेता)
- तन्हाई में रो दोगे तुम
- कार्तिक साहनी चले स्टैनफोर्ड : आई.आई.टी संस्थानों की दृष्टिहीनता
- ओशो : राहुल सांकृत्यायन (बौद्ध भिक्षु और वामपंथी लेखक)
- आत्महत्या : जीने की इच्छा (ओशो)
- अधूरे काम…मरने से रहे (रघुवीर सहाय)
- ओशो : यशपाल (वामपंथी लेखक)
- थोड़ी और पिला दो भाई
- समाजवाद और साम्यवाद : ओशो (नये समाज की खोज)
- कम्युनिज्म : ‘सआदत हसन मंटो’ की दृष्टि में
- आम तो आम खटास के भी दाम
- मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई
- अमिताभ बच्चन का हिंदी प्रेम : असली नकली?
- मेरे गीत नहीं पाओगे
- अस्पताल वहीं बनाएंगे
- वे अहले-हिन्दुस्तान हैं
- मोहम्मद युसूफ खान : दिलीप कुमार क्यों बने?
- यशोदा
- मौत की दौड़
- प्रेम पत्र
- सहयात्री के लिए शुभकामनाएँ
- अनउगी झील शरद की
- प्रेम में आकाश
- आंसू एक न गिरने दूंगा…
- दिल्ली है सांडों की, बलात्कारियों की!
- पकड़ो मत! जकड़ो मत!
- मेरे गीत तुम्ही गाओगे
- दिल का हाल सुनाओ तो सही
- मिटाने वाले …गजल (हंसराज ‘रहबर’)
- मैं फिर भी उठ खड़ी होऊँगी – MAYA ANGELOU
- असाध्य वीणा : अज्ञेय
- बड़ा अपयशी हूँ मैं भाई !
- नामपट्टी…
- बताओ तो, क्या गुलाब नग्न है? : पाब्लो नेरुदा
- तब तुम मुझको याद करोगे…
- तुम्हारी हँसी … Pablo Neruda
- अब मैं तुमसे कुछ न कहूँगा…
- यदि तुम मुझसे दूर न जाते …
- गीत गुनगुनाने दो
- अद्भुत औरत
- बस ऐसे जीवन बीत गया
- ये दर्द जो तुमने दे दिया है
- इतने मुझको प्यारे हो तुम
- आवाजों का इंतजार
- सारा सावन पिघल न जाए
- पर तुम तो घबराए बहुत …
- उससे अधिक कुंआरे हो तुम
- दुश्मन आवारा मन
- भोपाल गैस त्रासदी के शिकार
- भोपाल गैस त्रासदी – अन्याय की 28वीं वर्षगाठं
- मूर्त होता प्रेम!
- सौ बार कहेंगे
- लिखती होगी नाम मेरा वो
- मुझे ना ढूंढ!
- प्रीत
- तुम्ही बताओ क्या होगा?
- मुक्त हो अर्थहीन काया
- चे-ग्वारा- आम आदमी के हालात कभी बदलेंगे क्या!
- मेहँदी रची उंगलियां
- घाटियों में प्रेम की, फिर कोई उतार ले
- झुकी मूँछ
- बेज़ुबान अहसास
- तारों पार कोई रोया
- अपनी आग में जलते घर
- सब बेकार की बातें हैं
- संभाल लो विरासत
- दूर और कुछ जाना है
- शोषितों कल का उजाला तुम्हारा
- शाह या फकीर, मरना दोनों को है
- पायरेटेड वर्ज़न हूँ मित्र, चाहो तो डिलीट कर दो
- बूँद और समंदर
- खुदकशी – मर्ज़ और दवा
- कमजोरों की भाषा
- तुम बताओ साँस थम न जायेगी
- टूटे दिल का कौन मसीहा
- तिल और ताड़
- बाँस
- ज़हर भी है मुस्कान में
- प्रीत मुझे पहचानेगी ही
- अपना वजूद तलाशता व्यक्ति
- सोना दुश्वार हुआ
- स्वयं से मुलाक़ात
- अंधेर नगरी चौपट राज : मुफ्त मरती जनता
- हिंदू, मुस्लिम सिख, ईसाई – आदमी कहाँ है भाई?
- कैसे हुई बदनाम कहानी?
- मास्टर, डॉक्टर और पुलिस – भ्रष्टाचार के तीन स्त्रोत
- अंजान आरम्भ का अनिश्चित अंत
- कोयला भई लड़कियाँ
- नारी! तुम कब, कैसे माता से हत्यारिन बन गयीं?
- भ्रष्टाचार: कुछ अनबुझे सवाल
- वह जीवन भी क्या जीवन है
- चाँद-रात
- कौन रहेगा ईमानदार?
- समय साक्षी है : हिमांशु जोशी का भविष्योन्मुखी उपन्यास आज के परिपेक्ष्य में
- अन्ना सोचो तो बताओ तो
- कितना ज़रूरी है सह-अस्तित्व पर चलना
- मैं कौन हूँ?
- ओशो : कृष्ण प्रतीक हैं हँसते व जीवंत धर्म के
- ख़ाली घोंसला
- जिहादी हूँ, दहशतगर्दी नहीं इंसानियत मेरा इस्लाम है
- भ्रष्टाचार और दोहरे चरित्र का द्वन्द
- छिन जाने का भय, जो तुम्हारा सुख छीनता है
- मुनादी…(धर्मवीर भारती)
- हम खुद ही न मार डालें कहीं अन्ना को!
- तिरंगा: कहाँ हैं इसे ऊँचा रखने वाले?
- तिरंगा : किस मुँह से फहराओगे, किस मुँह से देखोगे?
- एक पूरा दिन
- श्वेत-श्याम के द्वंद
- गम का आसरा : नरेश कुमार ’शाद’
- भ्रष्टाचार की परिभाषा
- शोला बन न भड़के तो शेर कैसा: नरेश कुमार ’शाद’
- बेटी है गर्भ में, गिरायें क्या?
- लीडर : नरेश कुमार’शाद’
- अदभुत चाँद
- चंद कतात : नरेश कुमार ’शाद’
- कशमकश : नज़्म (नरेश कुमार ’शाद’)
- नरेश कुमार “शाद” : परिचय उस महान शायर से
- वह जो है
- तुम खारे क्यों हो समंदर बाबा?
- ‘गंगा’ से घृणा करते दूधनाथ सिंह
- अंत का प्रारंभ (रघुवीर सहाय)
- बाज की चोंच में ब्रह्मांड
- गुलाबी दुपट्टा
- जीवन प्रश्न भी और उत्तर भी
- चिंता जहर, चिंतन संजीवनी (संत सिद्धार्थ)
- खुदारा पूछना मत कहाँ थे
- ओशो, महावीर, ज्योतिष, आत्मघाती और जीने की इच्छा
- पाब्लो नेरुदा : आज की रात लिख सकता हूँ
- प्यार की बात
- फाइबर : अच्छे पाचन-तंत्र की युक्त्ति
- बूढ़े नीम तले बुदबुदाते बूढ़े होठ
- माँ के ये लाल
- स्वास्थ्य : ब्लड टैस्टस -1
- कल और आज
- मौसम
- प्रेम और इच्छा
- दहशत
- ये कैसा आया जमाना
- संस्कार
- लहूलुहान हैं फिर मुम्बई, देश और इंसानियत
- दिल की लगी
- एक दुनिया यह भी है
- कार्य कलात्मकता आनंदमयी जीवन
- तुम्हारे बिना – अंधेरा जीवन
- तुम्हारे बिना : बदरंग जीवन
- तुम्हारे बिना : सूना जीवन
- यह भी एक दुनिया है
- कहीं मकान बनाएँ क्या?
- बोरियत
- अहसास जो तुम्हे जीवंत रखता है
- मैं और मेरी प्रवासी दुनिया
- व्यक्ति अब तो आत्मसमर्पण करो
- प्रेम से भय कैसा
- पिता की चाह
- प्रेम जीवन का द्वार
- उपभोक्तावाद को ललकारती कविता का शंखनाद
- प्रेमानुभूति
- बतकही : जाम
- पिता की पाती पुत्र के नाम
- पिता तुम्हे याद करते हुये
- उदारीकरण और भारत
- सोनिया गाँधी और संघ परिवार
- बतकही : आरम्भ
- दिल बहलाने का ख्याल
- बाबा रामदेव: आर.एस.एस, भाजपा और कांग्रेस
- प्रेम : अंततः पारदर्शी मन
- अमर गान कैसे हो?
- मकबूल फिदा हुसैन : पंढ़रपुर के लड़के की धरती से अंतिम उड़ान
- भ्रष्टाचार विरोध को इंसाफ मिलेगा क्या?
- बाबा रामदेव: छाप, तिलक, अनशन सब छीनी रे नेताओं ने पुलिस लगाय के
- बाबा रामदेव : भ्रष्टाचार मुर्दाबाद
- वक्त्त की किताब
- टॉलस्टोय तो नहीं पर बचपन सुझा गया
- अमृता प्रीतम का पता
- मनुष्य का विकास
- जिये के मरा करे कोई
- नेहरु, ओशो और हिंदी फिल्में
- सुंदरता अभिशाप बना दी जाती है!
- कुचली स्मृतियाँ
- चींटियाँ
- बूँद में समंदर
- ग़ालिब और कीचड़ के बहाने
- वर्दी वाले गुंडे
- जो कर न सकूँ
- पानी मयस्सर नहीं, और कहीं जाम छलकते हैं
- बच्चा बन सोचूँ तो!
- खुदा का पता
- किसान: मैथिलीशरण गुप्त झूठे थे!
- साइकिल वाले खान साहब
- कृष्ण बिहारी नूर लखनवी: वक्त्त का खंजर तलाश में है
- राम तेरी गंगा मैली कर दी हमने
- वह लड़की
- हुस्नेमुजस्सम
- नीम की छांव
- देखा है नहीं और खुदा कहते हो
- एक रचना: निर्णायक प्रसंग
- ओशो, टैगोर और ईश्वर
- गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर: निष्फल कोई पूजा न होगी
- पेड़ों पंछियों बिना सूना जीवन
- मौन के एक क्षण की गुज़ारिश है
- ढाई अक्षर की महिमा
- अखबारों की सुर्खियां बनते जीवन
- गया वक्त्त
- एक रचना : तीसरा प्रसंग
- ख्वाब इंकलाब का
- जीवन-मृत्यु
- भ्रष्टाचार का प्राइमरी स्कूल
- सपने डूबते हैं ज़हर में
- खौफ है बरपा
- निर्माण फिर से
- एक रचना : दूसरा प्रसंग
- Twitter : देवनागरी के सामने खड़ा एक जिन्न
- पत्थर नहीं हीरा बन
- एक रचना: पहला प्रसंग
- न परदा न जीरो फीगर है तेरी हस्ती
- किसी ने दीवाना समझा किसी ने सरफिरा
- दर्द की दवा
- प्राइवेट बनती कॉमन वेल्थ
- हॉफ टिकट
- ईमानदारी-भ्रष्टाचार के बीच झूलता मानस
- भ्रष्टाचार का झगडा
- शाम के बाद
- बाबाजी, मैं और औरत
- बगुलाभगत आये रे!
- जिंदगी तेरे रूप अनेक
- उसकी याद में
- सच्ची इबादत
- यक्ष प्रश्न
- निगाह में ठहरने तक
- जनता से ठगी की विरासत
- मुफलिस बचपन
- लोकपाल समिति : सदस्यता लूट ले
- जय जवान
- गम भी न आये रास तो क्या करुँ
- सब यहीं छूट जाना है
- वक्त की धुंध
- इस बार जंग ये जीत ली जाये
- रागिनी अपने और देश के सम्मान के लिये कुछ भी करेगी
- नया गाँधी और भूरे अंग्रेज
- अन्ना आये हैं दिया जलाने
- प्राण जाये मगर अब तो लड़ जायेंगे
- इस मुल्क में हमारी हुकुमत नहीं रही (दुष्यंत कुमार)
- सुकून-ए-दिल…
- हर पग पे लुटेरे बैठे हैं
- ज़िंदगी का सफर
- दर्द तो है ना
- बैरन नींद…
- रिश्ते…
- अपरिवर्तनीय खुदा…
- मरना कौन चाहता है
- खुदकुशी…
- भगत सिंह का खून (कृष्ण बिहारी)
- फागुन में बहारें होली की
- ज़िंदगी फकत एक लहर लम्हों की (रफत आलम)
- मीर-ओ-ग़ालिब की गज़ल का सहारा
- बस आदमी मिलता नहीं…
- खून सफेद…
- लौट कर न आने वाले…
- अंतिम नहीं यह हादसा
- मंहगाई डायन …
- आवारा पत्ता
- नारी उपेक्षिता…
- तकदीर का लिखा…
- दोमुँहे…
- अरबपतियों की शादी
- इंकलाब और पुरातन गुलाम मानस
- अंजान खिलाड़ी का तमाशा
- ईमानभक्षी खटमल
- जीवन दबे पाँव आता है
- ठूंठ…
- उपलब्धि का अहंकार…(संत सिद्धार्थ)
- पत्थरों की बस्ती…
- विचारों में बसते हैं नाग…
- Buddhism चीन से आया भारत : Paulo Coelho
- नहीं रहा…
- अपना जूता अपने सर
- मुझे आदमी मिला नहीं
- जानी दुश्मन भी बने हैं माँ के जने
- स्वतंत्रता : मोहम्मद का नुस्खा ओशो का शहद
- दर्द सीने में परिहास लबों पर…
- मामा के तप का अपमान न हो पायेगा
- जिसे प्रेम कहते हैं
- फैज़ : मिल जायेगी तारों की आखिरी मंजिल
- कद बड़ा करता साया
- खुश तो बहुत होगे आज इजिप्ट : रघुवीर सहाय
- साज़ जिंदगी का
- रेगिस्तान में हिमपात : कविराज की पहली पुस्तक
- जिंदगी के निराले रंग-ढ़ंग
- तबादला
- कत्लगाहों की तरफ जाती भेड़ें
- जिद्दी औरत…
- दिल छेदने से पहले दोस्त गले मिलते हैं (रफत आलम)
- सृष्टि सूक्त : महर्षि परमेष्टि
- प्रलय का दिन दूर नहीं…(रफत आलम)
- मिस्र जल उठा : आँच से हिंद जैसे नींद से जागेंगे क्या? (रफत आलम)
- आज के अखबार में क्या लिखा जाये? (कृष्ण बिहारी)
- अँधेरे का इतिहास नहीं होता…(रफत आलम)
- भगवती चरण वर्मा : एक प्रेम कविता
- प. भीमसेन जोशी : श्रद्धांजलि
- औरत…(कृष्ण बिहारी)
- गूँगों की बस्ती में नक्कारखाने में बजती तूती…(रफत आलम)
- आसमान आदमी का कहाँ था…(रफत आलम)
- गुरु
- नियति…(कविता – कृष्ण बिहारी)
- दुआ करके क्या पाया… (रफत आलम)
- तेरे जाने के बाद…(कविता – रफत आलम)
- पात्रता और वाणी का संयम …(संत सिद्धार्थ)
- अछूत
- वो कविता … (कृष्ण बिहारी)
- शब्द … (कविता – रफत आलम)
- कौन ठहरता है चमन में …(कविता- रफत आलम)
- अपनी तलाश …(ग़ज़ल – रफत आलम)
- तहज़ीब के हत्यारे और शीला की जवानी…(कविता-रफत आलम)
- खुदा, कैसी ये जमीं कैसा आस्मां …(ग़ज़ल – रफत आलम)
- शाश्वत रहेगा प्यार …(कविता – कृष्ण बिहारी)
- हरामखोरी … (ग़ज़ल – रफत आलम)
- प्याज रोटी का कफन ओढ़ाती मंहगाई
- अनस्तित्व … (कविता – कृष्ण बिहारी)
- जॉन एलिया : कहते हैं कि उनका था अंदाजे बयां और
- जॉन एलिया : तन्हा शायर, बेशकीमती अश’आर
- कैप्टन विक्रमादित्य की शादी और हिम्मत सिंह के कारनामे
- ना होने तक…(कविता – रफत आलम)
- मसीहा कोई नहीं …(गज़ल – रफत आलम)
- तुम्हारे बाद स्मिता…(स्मिता पाटिल को श्रद्धांजलि – कृष्ण बिहारी)
- जिंदगी का मेला … गज़ल (रफत आलम)
- वजूद खोजती चार-चार पंक्त्तियाँ…(रफत आलम)
- भारत तैयार है जननेता के जन्म के लिये
- मैं, दरवाजा और वह … (कविता – कृष्ण बिहारी)
- बिग बॉस: पारदर्शिता कहाँ है ऐसे रियलिटी कार्यक्रमों में?
- विश्वनाथ प्रताप सिंह : कवि और चित्रकार
- दुख! क्यों भटक जाता है तू … (कविता – रफत आलम)
- कानून को ठेंगा दिखाते दिल्ली मेट्रो के पुरुष एवम महिला यात्री और पुलिस
- सच्चे मित्र सच्ची मित्रता … (संत सिद्धार्थ)
- तोते का पिंजरा : एक मंज़र
- विवाह
- एक प्रश्न : एक उत्तर …(कविता- कृष्ण बिहारी)
- एक और सुबह…(कविता-रफत आलम)
- दुनिया की रीत समझते आलम साब…(गज़ल-रफत आलम)
- अनुपस्थिति का अहसास…(प्रेम कविता – कृष्ण बिहारी)
- लक्ष्मी माता मुफलिस भी तो राह तके तेरी…(कविता-रफत आलम)
- वयस्क होता गरीब बचपन…(कविता-रफत आलम)
- झूठन…(कविता-रफत आलम)
- मौत की इबारत…(कविता-रफत आलम)
- क्या खोया क्या पाया…(ग़ज़ल)
- गुल्लू बाबू और स्विस बैंक में भारत का काला धन
- लिखनी है एक गज़ल … (गज़ल – रफत आलम)
- लहू का एक रंग यह भी…(कविता-रफत आलम)
- जिंदा हूँ इस तरह के … (कविता- रफत आलम)
- विलियम ब्लेक के नाम
- लड़की – यलगार हो ….(कविता – रफत आलम)
- गरीबी में पतित होता जीवन …(कविता – रफत आलम)
- बरसों की साध …(कविता- कृष्ण बिहारी)
- उधार का भाग्य…
- कुछ काव्य कुछ विचार … (रफत आलम)
- वक्त का चलन … (गज़ल – रफत आलम)
- बहुरुपिये…(कविता- रफत आलम)
- ध्वनियाँ …. (कविता- कृष्ण बिहारी)
- गाँधी : क्या खूब कारीगरी है महात्मा
- कभी तुम भी समझोगे हमें…(रफत आलम)
- जरुरत है जरुरत है कबीर की
- जो हुआ सो हुआ …. निदा फाज़ली
- इमारतों के सहारे मनुष्यता को हराता अधर्म… (कविता – रफत आलम)
- मन्नू बचपन कब जियेगी…(कविता – रफत आलम)
- सच और भ्रम …. (कविता- कृष्ण बिहारी)
- दुनिया के ढ़ंग निराले … (रफत आलम)
- कन्हैयालाल नंदन : श्रद्धा सुमन
- शबाना और जावेद ने खाकर स्लम उड़ाया है गरीबों का मज़ाक
- ब्लॉग की दुनिया में एक घुसपैठिया …रफत आलम
- एतबार … ग़ज़ल (रफत आलम)
- अमन की दुआ … ग़ज़ल (रफत आलम)
- भयानक हानि
- एक अंजान पाठक की दास्तान… (रफत आलम)
- दीवाने की वफा … गज़ल (रफत आलम)
- माफ़िया …(कृष्ण बिहारी)
- मुझे जाना ही होगा
- गरीब कब पढ़ेगा शुक्राने की नमाज़
- परवाह नहीं ग़ालिब
- खत-ओ-किताबत के मिटते निशां
- प्रणव मिस्त्री का डिजिटल संसार : वाह उस्ताद वाह
- सांस ही गति है … कविता (कृष्ण बिहारी)
- दिल चीज़ क्या है : पहुँच गया चीन
- पाकिस्तान : बाढ़ का प्रकोप – चंद तस्वीरें
- ब्रूस ली के हैरतअंगेज कारनामे
- कह देने के बाद… (एक प्रेम कविता: कृष्ण बिहारी)
- 10 रुपये के नये सिक्के की मनोहर छवि
- कवि शरद की कलम से
- अधिनायक… खोजते हैं रघुवीर सहाय
- जीवन
- क्रम ….(कविता – कृष्ण बिहारी)
- शहीद चन्द्रशेखर आजाद : तीन रोचक प्रसंग
- कमियों को पूरा करने में – (कृष्ण बिहारी)
- दाता द्वार खोलत नाहीं
- नेता पुराण
- कृष्ण बिहारी हाजिर हों
- प्रेम, प्रेमी और प्रेम-गीत अगली पायदान पर
- गालिब छुटी शराब : मयखाने से होशियार लौटते रवीन्द्र कालिया
- अदभुत नृत्य-संयोजन
- न होने के बावजूद- (कृष्ण बिहारी)
- कारगिल और भारत-पाक शांति प्रयास
- भारत पाक शांति प्रयास : भारतीय शायर अली सरदार जाफरी
- भारत पाक शांति प्रयास : पाक शायर अहमद फरहाज़
- गूँज : केदारनाथ सिंह के जन्मदिन के अवसर पर
- एक दिन… – (कृष्ण बिहारी)
- रहता तो सब कुछ वही है : कीर्ति चौधरी
- मर गयी है भूख- (कृष्ण बिहारी)
- ख़तरनाक डगर
- Waka Waka : धुरंधर और भी हैं शकीरा के अलावा
- मेरे गाँव का मुकददर- (कृष्ण बिहारी)
- कविता क्या है : कृष्ण बिहारी
- अहिंसा हिंसा वाया गाँधी टैगोर
- दूर कहीं लोग जीवित हैं : डा. धर्मवीर भारती
- मन और देह के सत्य : सत्यम शिवम सुंदरम
- अर्द्धनारीश्वर
- सीटी बुला रही है
- रावण और अमिताभ बच्चन : नैतिक और जिम्मेदार पत्रकारिता का क्या होगा
- कुमार विश्वास : बरसों पुरानी दो कविताओं का स्मरण
- सूर्योदय जीवनोदय
- द्वयक्षर श्लोक : केवल दो अक्षरों से कमाल
- एकाक्षर श्लोक : अदभुत कल्पनाशक्ति का आग्रह
- प्रेम, अंहकार और टॉनिक
- कटी कटी रे दाढ़ी उसकी
- हिन्दी सिनेमा के अभिनेता : क्विज
- ये सज्जन जरुर ही राम की वानर सेना में रहे होंगे
- प्रकृति के रंग में भंग डालता आत्महंता मनुष्य
- हबीब तनवीर : हीरे की अँगूठी
- रंगमंच और जीवन
- शिशु जन्म : ममता नहीं सुरक्षित केवल स्त्री के लिये
- राग-विराग : श्रीलाल शुक्ला ने छोटा किया जीवन का विस्तार
- अभिनय
- खबरदार श्रीमान नेता जी
- अटल बिहारी वाजपेयी : कवि की उलझन
- अटल बिहारी वाजपेयी : कवि की व्यथा
- पहचानविहीन लोगों की कब्रगाह (वियना)
- हफीज मेरठी : शायर के खून और पसीने से टपके सात सुर
- उदघोषणा !
- श्याम फिर एक बार तुम मिल जाते
- हफीज मेरठी : तीन मोती शायर की विरासत से
- गुलजार साब ने चेतन भगत को सीख दी
- गज़ल क्या है
- पुनर्मिलन
- ट्विटर मैनिया
- कौन तो लिखता है, कौन तो रचता है
- मन के भय
- स्वयं की बुराइयों का भय
- मन के फरेब
- प्रोफेशनलिज्म, संवेदना और इंसानियत
- मातृत्व की विरासत
- मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
- गर्दभ स्वप्न
- पानी पर चलने की कला: कितना सच कितना झूठ
- हिन्दी साहित्य : एक क्विज
- जीवन बस यहीँ अभी
- “मैं” है तो प्रेम कहाँ
- प्रेम का फूलना
- पूर्ण समर्पण
- प्रेम और समय
- प्रेम और अंहकार
- भारतीय राजनीति : एक क्विज
- शर्म और प्रेम
- नेह भरा काजल
- पास दूर
- आज का सच
- महासंग्राम
- अंतरचेतना
- आज के अभिमन्यु
- उजाले की ओर
- समर्पण
- पवित्रता
- स्वप्न
- आशा
- क्षितिज की ओर
- बिना करे पाने का लोभ
- उलझन
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