रिश्ते पिघल गए बर्फ के टुकड़ों की तरह
रिश्ते पिघल गए मोम की कंदीलों की तरह
रिश्ते पिघल गए जमे हुए आंसुओं की तरह
रिश्ते पिघल गए कोहरे के मंज़रों की तरह
रिश्ते पिघल गए वक्त के लम्हों की तरह
रिश्ते पिघल गए माटी के जिस्मों की तरह
बंजर माहौल में बस कैक्टस जिंदा रहते हैं
(रफत आलम)
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