छोटी मगर गहरे भाव और अर्थ अपने में समाहित की हुयी कविता का उदाहरण देखना हो तो प्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार शुक्ल की कविता “जो मेरे घर नहीं आयेंगें” तुरंत सामने आ जाती है|
जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा
एक उफनती नदी कभी नहीं आयेगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा
पहाड़, टीले, चट्टान, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव – गाँव, जंगल- गलियाँ जाऊँगा|
जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फुरसत से नहीं
उनसे एक जरूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा|
(विनोद कुमार शुक्ल)
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