2 दिसंबर 1984 की वो काली भयावह रात ………… जब एक भयंकर मानवीय भूल ने लाखों निर्दोष और मासूम लोगों की ज़िन्दगी को दांव पर लगा दिया। उस रात हज़ारों लोगों की किस्मत में 3 दिसंबर 1984 का सवेरा देखना नहीं लिखा था. उस रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड के एक प्लांट में हुए गैस के रिसाव ने देखते ही देखते समूचे शहर को अपनी आगोश में ले लिया और सोये हुए लोग हमेशा के लिए सोते ही रह गए। जो बच गए, वे भी अधमरी सी हालत में थे। देश के इतिहास में घटित इस सर्वाधिक ह्रदय विदारक औद्योगिक त्रासदी ने एक ऐसी अंतहीन पीड़ा दे डाली है, कि उस खौफनाक मंज़र को याद करके लोग आज भी सिहर उठते हैं। इस दुर्घटना में दृष्टिहीन और पंगु हुए लोगों के रोज़गार छिन गए, और उनके परिवार दर दर की ठोकरें खाने को विवश हो गए। मुट्ठी भर मुआवजा देकर इन पीड़ितों के मुंह बंद कर दिए गए और इस भूल की ज़िम्मेदार कंपनी और उसके आकाओं के विरुद्ध आज तक कोई कुछ नहीं कर सका, न सरकार और न ही अंतर्राष्ट्रीय पुलिस। न्याय के इंतज़ार में ही इस त्रासदी के हजारों पीड़ितों
ने दम तोड़ दिया। आज इस त्रासदी की 28 वीं बरसी पर, उन सभी को विनम्र श्रद्धांजलि, जो इस हादसे के शिकार हुए —
आई जो काल रात कि सुनसान कर गयी,
सोते हुए शहर को ही वीरान कर गयी।उस रात सिवा मौत के, कोई कहीं ना था,
आबाद – शाद बस्तियां वीरान कर गयी।विषकन्या पूंजीवाद की, गरीब देश में,
आकर अजीब तौर से विषदान कर गयी।पहले से आदमी का था, संघर्ष कठिन ही,
जीवन का युद्ध और घमासान कर गयी।हम जानते हैं कौन सी दुनिया से आके मौत,
इस तीसरी दुनिया को परेशान कर गयी।दहशत को घोल करके हवाओं में विश्व की,
पूरी मनुष्य जाती का अपमान कर गयी|
– अजीत सिद्धू –
Pic. Courtesy – The Bhopal Post