लूला, लंगड़ा, टुंडा, गूंगा, बहरा, काना, अंधा
कहकर गाली देते हैं
अपने जैसे पूर्ण देह वाले इंसानों को लोग|
सरकारी परिभाषाएँ “अपूर्ण अंगों”
में किसी प्रकार की “दिव्यता” का दर्शन करते हुए
इन्हे ‘दिव्यांग’ कहती हैं!
शरीर नश्वर है,
और
आत्मा –
अजर है
अमर है,
निराकार है,
शुद्धतम है,
निस्पृह है,
अस्पर्शनीय है ,
अदृश्य है,
आदि हुंकारने वाले,
चेतना और प्रबोधन को फलीभूत कर दिखाने वाले,
और अष्टावक्र सरीखे मनीषियों को जन्म देने वाले,
प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक के जन्मदाता
देश से पूछा तो जा ही सकता है
वास्तव में ये हैं कौन?
…[राकेश]