Posts tagged ‘Shikva’

फ़रवरी 5, 2014

काई जम गई इंतज़ार की मुंडेर पे

इस सावन में बरसी आँखें

काई जमी इंतज़ार की मुंडेर पे

रखे हाथ कंपकपाते हैं

सब कुछ छूट जाने को जैसे

पैरों के नीचे से ज़मीन

बहुत गहरी खाई हो गयी

आँखे पता नहीं किसके लिए

आकाश ताकती हैं…

साँसों की आदमरफ्त रोक के

जिसको फुर्सत दी सजदे के लिए

उस खुदा को और बहुत

एक मेरी निगहबानी के सिवा…

मुझे कोई गिला नहीं…

शिकवा कमज़र्फी है…

हाथ कंपकपाते ज़रूर हैं

अभी मगर फिसले नहीं हैं…

Rajnish sign

नवम्बर 27, 2013

सपनों को न बांधों

सपनो पे पहरे मत बांधोtitan-001

कम से कम वहाँ ना खींचो

लक्ष्मण रेखा|

हमने अपने सपनो में अक्सर

देखा है तुमको भी

बन्धनो और सीमाओं से बाहर निकलते

सपनो में कोई शिकवा नहीं होता

हर बात तुम मेरी मान, जान ही जाती हो

थोड़े मनुहार के बाद ही सही

बाहु-पाश में आ जाती हो

Rajnish sign