अभी तो कहने को कई बातें शेष हैं,
घटनाएं जिन्हें हमने जिया,
बातें जो हमने सीखीं,
वस्तुएं जिन्हें हमने देखा,
और मुलाकातें जो कई बार हुईं
और वे जो हुईं सिर्फ एक बार,
हर फूल इंतजार कर कर रहा है अपना जिक्र किये जाने का,
हर मुट्ठी भर धूल इस लायक है कि उस पर ध्यान दिया जाए,
मगर जब इन पर कुछ कहने का मौक़ा आएगा इनमें से सिर्फ एक,
और उस एक के भी कुछ टुकड़े समा पायेंगें कहने में,
जहां तक स्मृतियों का सवाल है मनुष्य करोड़पति होता है,
मगर जब उन्हें कलमबद्ध करने का वक्त्त आता है तो
वह पाता है खुद को कंगाल,
लगभग हर चीज किताब के बाहर छूट जाती है,
और अंदर रह जाते हैं चंद टुकड़े और स्वप्न|
(Sándor Weöres, हंगेरियन कवि)
प्रस्तुति – साभार विनोद शर्मा