सूरज डूबेगा तो रात भी हो जायेगी ,
बाजी लगेगी तो मात भी हो जायेगी ,
धीरज खाना महज भूल है बड़ी
प्यार होगा तो मुलाक़ात भी हो जायेगी|
मुझे ज़िंदगी का फटा कफ़न सी लेने दो,
न बहलाओ उन्ही की आस पे जी लेने दो,
पीऊँगा न कल एक भी घूँट तुम्हारी ही कसम,
मगर आज तो जी भर के पी लेने दो|
आकर पास ज़रा, आँख मिलाओ तो सही,
दिल की बात को ओठों पे लाओं तो सही,
मालूम नहीं है पर मेरे दिल का हाल,
न हो, अपने दिल का हाल सुनाओ तो सही|
– ‘जगत्प्रसाद ‘सारस्वत‘