यदि तुम मुझसे दूर न जाते …

मुझे, अकेलेपन में साथी

याद तुम्हारी कैसे आती

आंसू रहकर इन आँखों में अपना नीड़ कैसे बनाते?

यदि तुम मुझसे दूर न जाते|

तुम हो सूरज-चाँद जमीन पर

किसका क्या अधिकार किसी पर

मेरा मन रखने की खातिर

तुम जग को कैसे ठुकराते?

यदि तुम मुझसे दूर न जाते|

आँख आज भी इतनी नम है

जैसे अभी अभी का गम है

ताजा सा यह घाव न होता,

मित्र तुम्हे हम गीत सुनाते

यदि तुम मुझसे दूर न जाते|

पल भर तुमने प्यार किया है

यही बहुत उपकार किया है

इस दौलत के आगे साथी किस दौलत को गले लगाते?

तू आये तो सेज सजाऊं

तेरे संग भैरवी गाऊँ

यह मिलने की चाह न होती तो मरघट का साथ निभाते!

यदि तुम मुझसे दूर न जाते|

{कृष्ण बिहारी}

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