अनुभव की मंडी में जाकर
सबसे ऊँचा दाम लगाकर
जिसे खरीद लिया है मैंने
यह अधिकार तुम्हारा ही है…
जो सूरज डूबा करता है
थका थका ऊबा करता है
उसको सुबह मना लाते हो
यह उपकार तुम्हारा ही है
यह अधिकार तुम्हारा ही है…
कलाकार ने चित्र बनाकार
अमर बनाया तुम्हे धरा पर
अब तुम उससे रंग छीन लो
हक सौ बार तुम्हारा ही है
यह अधिकार तुम्हारा ही है…
अपना ही गम किससे कम है
ऊपर से तेरा भी गम है
मुझे चुकानी होगी कीमत
यह अधिभार तुम्हारा ही है
यह अधिकार तुम्हारा ही है…
{कृष्ण बिहारी}