एक देश की करुणा संचित होती है गांधी में
एक देश का घमंड एकत्रित होता है हिटलर में
एक के उल्लेख के साथ प्रेम का आभास होता है
दूसरे के साथ घृणा की परिकाष्ठा का भय सताता है
एक आशा और प्रकाश का धोतक है
दूसरे की स्मृति अन्धेरा फैलाती है
पहला मानवता को पोषित करता है
दूसरा मानवता का विनाश करता है
पहला सदियों देश की जयजयकार करवाता है
दूसरा सदा देश को गालियाँ दिलवाता है
चुनाव सदा हाथ में है…
…[राकेश]