बहुत आसान है …
बहुत आसान है किसी से प्यार कर लेना
चाहने लगना
झूमते हुये बांस के पेड़ों की तरह
हवा को।
बहुत आसान है…
बहुत आसान है किसी को बसा लेना दिल में
सजाना सपने
और फिर देखते रहना
अपलक शून्य में नीले आसमान को।
बहुत आसान है…
बहुत आसान है किसी को छिपा लेना खुद में
बचाने लगना उसे दुनिया की हर अच्छी-बुरी नज़र से
जैसे बचाना हो खुदा को
वरना दुनिया को देखेगा कौन?
मगर,
मगर कठिन है पाना प्यार
गणित के कठिनतम सवाल से भी कठिन
रामानुजम के पास भी नहीं था
इस जटिल समस्या का हल।
और प्यार कोई खेल भी तो नहीं
कि जिसे सभी खेला करें
या कोई ऐसी चाह
जिसके पूरा होने न होने से
कोई फर्क न पड़े
प्यार उखाड़ देता है क्षणों में
बरगद बड़े-बड़े
यह बड़ी ख़तरनाक डगर है।
{कृष्ण बिहारी}