जब हम-तुम याद करेंगे
कि-
जीवन जितना भी देता है
सहेजने- संजोने को होता है
सखे, पीड़ा का सत्व
सुखकर होगा अवश्य ही|
कल,
जब हम-तुम संधान कर चुकेंगे
कि –
होती है एक छोटी सी मुलाक़ात भी,
सम्पूर्ण
नहीं होता है सब कुछ बेमानी
मौन भी है बोलता कभी-कभी
प्रिये,
अमूल्य हैं पोरों पर अटके ये मोती
कल फिर मिलेंगे हम,
तो जानेंगे कि-
हमने जिया है
एक टुकड़ा सच
साथ-साथ