सूखी पत्तियों की फिसलन भरी डगर के पार
हरियाली के आँचल में
झुरमुटों के पास से
शाम का धुआँ निकल रहा है
कोई माँ, खाना बना रही है
छौनों के घर लौटने का समय हो गया है|
सड़क के किनारे बनीं छोटी-छोटी फड़ें
बाहर सजा सामान अब समेटा जा रहा है
मैले से सफ़ेद कुर्ते-पाजामे में
कैद छुटा बच्चा
पिता को सामान पकड़ा रहा है
दुकान को बंद करने का समय हो गया है|