लोग अब सोते नहीं!
आँखों की नींद
उड़ा ले गये हैं
सफलता के सपने,
हर किसी को चाहिए
तारे अपनी झोलियों में,
उजले कल की आस ने
आज का सकून छीन लिया।
करवटों में है
भावी योजनाओं का हिसाब,
टारगेट,
हैं सिरों पर हावी
मीटिंग का एजेंडा,
सिगरेट के कश दोहरा रहे हैं
गुजरती रात के पल,
सोचते है शायद।
उपर चढ़ने से
कहीं आसान है
नीचे उतरना
इतनी सी बात
समझ लेते यदि लोग
चैन से सो जाते।
(रफत आलम)