सुन तो हम तब भी लेंगे
रोक लो खुद को चाहे
कितना ही,
आँखे बोल देंगी तुम्हारी
होंठ मेरे सब खुद-ब-खुद सुन लेंगे
आओ लो संभालो अपनी अमानत
बहुत दिनों से तुम्हारे लिए इसे
खाद पानी दे के बड़ा किया है
अब इसका क़द मुझसे ऊंचा हो रहा है
तुम्ही हो जो रख सकती हो इसे अपने साए में
बहुत बेचैन रहता है तुम्हारी नर्म बाहों को
संभालो कि इस से छिल रहे हैं
मेरे अपने ही सपनो के नर्म अहसास…
तुम्हारे प्रति मेरे प्यार की साँसे
उखड़ जाएँ
उससे पहले आ जाओ…