बाँस टकराते हैं
आपस में,
चिनगारियाँ जन्मते हैं
माहौल जला देते हैं।
बाँस छिदवाते हैं
छाती अपनी,
लहरियाँ जन्मते हैं
धुनें सुना देते हैं।
(रफत आलम)
Life creates Art and Art reciprocates by refining the Life
हर कोई कला को समझना चाहता है। चिड़िया के गाये गीत को समझने की चेष्टा क्यों नहीं करते? पेंटिंग के मामले में लोगों को समझना होता है... पर क्यों?
वे लोग जो चित्रों की व्याख्या करना चाहते हैं सरासर गलती पर होते हैं।
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बाँस टकराते हैं
आपस में,
चिनगारियाँ जन्मते हैं
माहौल जला देते हैं।
बाँस छिदवाते हैं
छाती अपनी,
लहरियाँ जन्मते हैं
धुनें सुना देते हैं।
(रफत आलम)
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