पलकें थोड़ी सी झुकाकर
तुमने मुझे निहारा जब था,
धरती सारी घूम गई थी
आखें, आँखें चूम गई थीं…
कंघी बालों में चलाकर
साँसें कंधे पर टिकाकर
तुमने दिया सहारा जब था,
किस्मत मेरी झूम गई थी
आखें, आँखें चूम गई थीं…
खुद को दुल्हन सा सजा कर
साथी मन ही मन लजाकर
तुमने मुझे पुकारा जब था,
आखें, आँखें चूम गई थीं
आखें, आँखें चूम गई थीं…
(कृष्ण बिहारी)