किसने क्या सुना
तुमने ये किया
मैंने वो नहीं किया
तुम ऐसी ही हो
तुम वैसे ही हो
तुम ये हो
तुम वो हो
आज भी ये सवाल सुलझाने में
बाकी सब सिरे उलझ जाते हैं
कुछ हो न हो हम में
प्यार तो शर्तिया नहीं रहा कभी
प्यार शायद कुछ और होता होगा
जो मैंने किया…
नहीं किया…
पता नहीं…
तुमने किया…
नहीं किया…
पता नहीं…
सब कुछ ऐसे ही होना था शायद
ऐसे नहीं होना था तो फिर कैसे होना था?
और अगर ऐसे नहीं होना था
तो फिर ऐसे हुआ ही क्यूँ?
इसलिए तुम परेशान न होना मेरे लिए कभी
खुद को इलज़ाम भी न देना कोई
मेरा क्या है?
मैं चंद आवाजें और दूंगा
फिर चला जाऊंगा…
तुम्हारी इसी गली में
जहाँ मेरा चाँद उगा करता था
ये तन्हाई की रात भी गुज़ारूंगा
और निकल जाऊँगा|
आवारा भटकते हुए आ निकला था
या
यहीं आना था
तुम ले आयीं हाथ पकड़
या
मैं आया खुद
मालूम नहीं|
कहते हैं नज़रें हसीं होती है…
मैं भी कुछ लाया था
क्या लाया था…
मालूम नहीं…
हां आज भी कुछ है मेरी आँखों में
कुछ है मगर कोई शिकवा
कोई शिकायत तो नहीं
मैं आवारा बेहिस बादल की तरह
थोडा सा बरसूँगा…
चला जाऊंगा…
तुम परेशान न होना कभी मेरे लिए….
ज़िन्दगी के सफ़र में सौ मोड़ आयें चाहे
किसी भी मोड़ पे तुम को अहसास-ऐ-तन्हाई न मिले
हर मोड़ पे किसी का साथ रहे
आज के बाद से हर तन्हा रात मेरी
मैं किसी भी तरह गुज़रता चला जाऊंगा
तुम परेशान न होना कभी मेरे लिए
खुद को इलज़ाम भी न देना कोई
मेरा क्या है…
कुछ देर पुकारूँगा…
चला जाऊँगा…