Archive for जुलाई 22nd, 2011

जुलाई 22, 2011

मौसम

रिमझिम मौसम में
हरी दूब पर
नंगे पाँव चलाना सुहाता है,
बे-एतबार फुहारों में
अक्सर खिलते हैं
रिश्तों के मासूम फूल,
सर्द रूत जमाने लगती है
गुलाबों की पंखडियों पर ओस,
बर्फ होते दिलों के
अजनबी बनते एहसास
बेरुखी के लिहाफ में
करवटें बदल कर सो जाते हैं।

बल खाती नदियों की जवानी
सोख लेती हैं बेदर्द गर्मियां,
जज़्बात की जलन में
चिता होते देखे रेश्मी आँचल
और चौड़े-चकले फौलादी सीने,
संबंधों के सूखे तीरों के बीच
समय का चिरस्थाई समुद्र
बचा रह जाता है.
सूनी आँख से रिसता
मौसमों के बदलाव में।

(रफत आलम)