अंग्रेजी शब्द Clone को देवनागरी में आसानी से क्लोन लिख सकते हैं क्योंकि आधे “क” की गुंजाइश है।
अंग्रेजी शब्द Pure आसानी से देवनागरी में प्योर लिखा जा सकता है। आधे प की उपस्थिति है।
पर जो शब्द अंग्रेजी के T
अक्षर से शुरु हों उनके साथ क्या किया जाये?
हिन्दी में ट या त से शुरु होने वाले शब्दों को आसानी से रोमन में लिखा और पढ़ा जा सकता है।
अंग्रेजी वर्णमाला के T को हिंदी के ट और त दोनों के संदर्भ में उपयोग में लाया जाता है और कोई दिक्कत नहीं आती। अगर रोमन में ऐसा लिखना हो कि ” दधीचि बड़े त्यागी महात्मा थे ” तो इस वाक्य के त्यागी शब्द को आसानी से रोमन में Tyagi लिखा और पढ़ा जा सकता है पर जब अंग्रेजी शब्द Tuning को देवनागरी में टयूनिंग लिखा जाता है तो क्या वह एकदम सही है? क्योंकि कायदे से इसे Tayuning पढ़ा जाना चाहिये।
अंग्रेजी के शब्द Twin के साथ क्या किया जाता है जब इसे देवनागरी में लिखा जाता है? इसे लिखते हैं ट्विन या ट्वीन, जो कि कतई अंग्रेजी के मूल शब्द के अनुरुप उच्चारण वाले शब्द नहीं हैं।
यही दिक्कत माइक्रो ब्लॉगिंग माध्यम के शब्द Twitter को देवनागरी लिपि में लिखने की है।
अगर इसे ट्विटर लिखें तो कायदे से इसका हिन्दी में इसका सही उच्चारण TiwTar हो जायेगा जो कि अंग्रेजी के मूल उच्चारण से एकदम अलग है।
अगर इसे टविटर लिखें तो हिन्दी में इसका उच्चारण TawiTar हो जाता है जो कि पुनः अंग्रेजी के मूल उच्चारण से अलग है। तो क्या देवनागरी में इस शब्द को लिखा ही नहीं जा सकता।
अंग्रेजी के सही उच्चारण के तहत इस शब्द में ट की ध्वनि आधी बैठेगी, पर पहले ही अक्षर के रुप में आधे ट को कैसे लिखा जायेगा?
इस समस्या को इस तरह भी समझ सकते हैं – अगर Twitter शब्द के पहले अक्षर को हिन्दी में ट के बजाय त की ध्वनि मिल जाती तो सही उच्चारण का सही लेखन होता त्वितर या त्विटर न कि तिवतर या तिवटर।
हिन्दी की खासियत ही यही है कि जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है और जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा भी जाता है।
हिंदी शब्दों को तो रोमन लिपि में लिखा जा सकता है पर ऐसा जरुरी नहीं कि देवनागरी भी अंग्रेजी शब्दों को ऐसी सड़क मुहैया करा दे जिस पर अंग्रेजी के शब्द सरपट दौड़ सकें।
ऐसी स्थितियों में जुगाड़ से काम चलाना पड़ता है।
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