कविताऐं महज भावनाऐं नहीं हैं, वे अनुभव हैं।
एक कविता सीखने की खातिर तुम्हे शहरों, लोगों और चीजों को देखना होता है।
तुम्हे समझना होता है, महसूस करना पड़ता है कि पक्षी कैसे उड़ते हैं,
और इन इशारों को जानना होता है जो नन्हे फूल सुबह उठते ही दर्शाते हैं।
कला “पाब्लो पिकासो” की दृष्टि में
हर कोई कला को समझना चाहता है। चिड़िया के गाये गीत को समझने की चेष्टा क्यों नहीं करते? पेंटिंग के मामले में लोगों को समझना होता है... पर क्यों?
वे लोग जो चित्रों की व्याख्या करना चाहते हैं सरासर गलती पर होते हैं।
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सिनेमंथन
सिनेमा का मंथन, अन्वेषण और विश्लेषण करता एक फोरम
वो आँख ही क्या जिससे निगाह न हो
वो लब ही क्या जिससे आह न हो
वो दिल ही क्या जिससे चाह न हो
वो जिस्म ही क्या जिससे कराह न हो
वो आदमी ही क्या जिससे गुनाह न हो
मुटठी भर माटी की सजा अभी बाकी है!
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मस्जिदों में सर झुकाना ही इबादत नहीं है
मंदिरों में जाना ही इबादत नहीं है
जोड़ की दाढ़ियाँ बढ़ाना ही इबादत नहीं है
लंबी चोटियाँ लटकाना ही इबादत नहीं है
छाप-तिलक लगाना ही इबादत नहीं है