जून 16, 2010
द्वयक्षर श्लोक में, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, केवल दो ही अक्षरों का उपयोग करके श्लोक की रचना की जा सकती है।
क्रोरारिकारी कोरेककारक कारिकाकर ।
कोरकाकारकरक: करीर कर्करोऽकर्रुक ॥
अनुवाद :
क्रूर शत्रुओं को नष्ट करने वाला, भूमि का एक कर्ता,
दुष्टों को यातना देने वाला, कमलमुकुलवत
रमणीय हाथ वाला, हाथियों को फेंकने वाला ,
रण में कर्कश, सूर्य के समान तेजस्वी (था) ।
(महाकवि माघ की रचना से)
पुनश्च: – एकाक्षर श्लोक [जहाँ केवल एक ही अक्षर (व्यंजन) का प्रयोग किया जा सकता है] का उदाहरण
यहाँ देख सकते हैं।
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जून 16, 2010
एक ही व्यंजन का पूर्णरुपेण प्रयोग एकाक्षर श्लोक के निर्माण की अनिवार्यता है। और ऐसा करने का प्रयास करने वाले रचियता के लिये अदभुत कल्पना शक्ति का स्वामी होना जरुरी है।
सातवीं सदी में जन्मे महाकवि माघ के “शिशुपाल वध” से एक श्लोक
दाददो दुद्द्दुद्दादि दादादो दुददीददोः
दुद्दादं दददे दुद्दे ददादददोऽददः
अनुवाद :
दान देने वाले, खलों को उपताप देने वाले, शुद्धि देने वाले,
दुष्ट्मर्दक भुजाओं वाले, दानी तथा अदानी दोनों को दान देने वाले,
राक्षसों का खण्डन करने वाले ने,
शत्रु के विरुद्ध शस्त्र को उठाया
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