समय रहते
एक बार तो
जवाब दे दो
मेरी पुकार का|
बाद में
ऐसा ना हो
समय उलझा ले
अपनी व्यस्तता के
जाल में मुझे|
और
विवश मै
चाहकर भी
तुम्हारी आवाज ही न सुन पाँऊ
चाहकर भी
तुम्हारी आवाज ही न सुन पाँऊ
…[राकेश]
Life creates Art and Art reciprocates by refining the Life
हर कोई कला को समझना चाहता है। चिड़िया के गाये गीत को समझने की चेष्टा क्यों नहीं करते? पेंटिंग के मामले में लोगों को समझना होता है... पर क्यों?
वे लोग जो चित्रों की व्याख्या करना चाहते हैं सरासर गलती पर होते हैं।
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